2025 में सेब किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो उनकी उत्पादन क्षमता और आय पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं। प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं:
सूखे की स्थिति: हिमाचल प्रदेश में पिछले साढ़े चार महीनों से बारिश नहीं होने के कारण मिट्टी में नमी की कमी हो गई है। इससे सेब के बागवान समय पर खाद नहीं दे पा रहे हैं, और प्रूनिंग (कटाई-छंटाई) कार्य भी प्रभावित हो रहा है। बागवानी विभाग ने सलाह दी है कि नमी की कमी के कारण फिलहाल प्रूनिंग न करें, क्योंकि इससे पेड़ कैंकर रोग की चपेट में आ सकते हैं।
etvbharat.comआयातित सेब से प्रतिस्पर्धा: विदेशी सेब के आयात में वृद्धि से स्थानीय सेब किसानों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। किसानों ने सरकार से आयात शुल्क बढ़ाने की मांग की है, ताकि घरेलू सेब उद्योग को संरक्षण मिल सके।
youtube.comलॉजिस्टिक चुनौतियां: सेब की फसल को बाहरी बाजारों में भेजने में किसानों को परिवहन और भंडारण से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। किसानों का कहना है कि सीधी सब्सिडी से इन परेशानियों को कम किया जा सकता है।
facebook.comतकनीकी ज्ञान की कमी: कई किसानों के पास सेब की आधुनिक खेती, प्रूनिंग, और रोग प्रबंधन के नवीनतम तरीकों की जानकारी का अभाव है। हाल ही में, शूलिनी विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञों ने किसानों के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया, जिसमें उन्हें सेब के पेड़ों की छंटाई, मिट्टी परीक्षण, और रोग प्रबंधन के बारे में शिक्षित किया गया।
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इन समस्याओं के समाधान के लिए, किसानों को नवीनतम कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण, सरकारी नीतिगत समर्थन, और प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता है।
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